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13 मौजूदा सदस्य

2018 से

युवाओं और परिवारों के लिए बनाई गई एडवाइज़री कमिटी

YouTube, परिवारों के इस्तेमाल करने वाली सुविधाओं और नीतियों में समय-समय पर बदलाव करता रहता है. इसके लिए, हम बच्चों से जुड़े मीडिया ग्रुप, बच्चों के विकास और डिजिटल लर्निंग के लिए काम करने वाले लोगों, और आम नागरिकों की कमिटी से सुझाव लेते हैं. इस कमिटी में गैर-लाभकारी संस्थाओं, शिक्षा, और चिकित्सा के क्षेत्र के अलग-अलग विशेषज्ञ शामिल हैं. इस एडवाइज़री कमिटी में, स्वतंत्र रूप से काम करने वाले ऐसे विशेषज्ञ मौजूद हैं जो युवाओं और परिवारों के लिए बने प्रॉडक्ट, नीतियों, और सेवाओं पर अपने सुझाव देते हैं. YouTube और हमारी एडवाइज़री कमिटी का मकसद, साथ मिलकर एक ऐसा सुरक्षित, बेहतर, और मददगार प्लैटफ़ॉर्म बनाना है जो दुनिया भर के युवाओं और परिवारों की ज़िंदगी बेहतर बनाए. यह देखें कि विशेषज्ञों के हमारे पैनल में कौन-कौन मौजूद हैं.

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हमारे विशेषज्ञ

जानें कि हम अपनी कम्यूनिटी के लिए क्या कर रहे हैं.

ऐन कॉलियर

ऐन कॉलियर

अमेरिका की गैर-लाभकारी संस्था The Net Safety Collaborative की फ़ाउंडर और एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर

युवाओं से जुड़े मुद्दों पर काम करने वाली ऐन कॉलियर एक लेखिका हैं. वह साल 1997 से 'युवा और डिजिटल मीडिया' विषय पर हुई सार्वजनिक चर्चाओं पर लिख रही हैं. ऐन, अमेरिका की गैर-लाभकारी संस्था The Net Safety Collaborative (TNSC) की फाउंडर और एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर हैं. इस संस्था का सबसे अहम काम अमेरिका के स्कूलों के लिए सोशल मीडिया हेल्पलाइन चलाना है. ऐन ने युवा और इंटरनेट सेफ़्टी से जुड़ी तीन नैशनल टास्क फ़ोर्स में काम किया है. इन्होंने ओबामा प्रशासन में ऑनलाइन सेफ़्टी ऐंड टेक्नोलॉजी वर्किंग ग्रुप में बतौर को-चेयरमैन काम किया है और नैशनल इंटरनेट सेफ़्टी टेक्निकल टास्क फ़ोर्स ऑफ़ 2008 से भी जुड़ी रही हैं. इन्होंने साल 2013-14 में गैर-लाभकारी संगठन ऐस्पन इंस्टिट्यूट के टास्क फ़ोर्स ऑन लर्निंग ऐंड दी इंटरनेट में काम किया है.

ऐलिसन ब्रिस्को-स्मिथ

ऐलिसन ब्रिस्को-स्मिथ

क्लिनीशन और रिसर्चर हैं, जिनकी विशेषज्ञता अलग-अलग लोगों को किसी काम में शामिल करने, सभी को एक जैसे मौका देने, और भेदभाव दूर करने जैसे कामों में है. Soft River Consultation की प्रिंसिपल और फ़ाउंडर

ऐलिसन ब्रिस्को-स्मिथ, बच्चों की लाइसेंसशुदा क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट हैं. इनका करियर अकादमिक दुनिया और प्रोग्राम डेवलपमेंट के इर्द-गिर्द रहा है. इन्होंने उन बच्चों और परिवारों के साथ काम किया है जो किसी ना किसी वजह से सदमे का शिकार हुए. ऐलिसन, नस्लीय भेदभाव के शिकार लोगों को इंसाफ़ दिलाने के लिए भी काम करती हैं. ऐलिसन, Soft River Consultation की फ़ाउंडर होने के साथ-साथ इसकी प्रमुख भी हैं. इसके ज़रिए ऐलिसन, समाज में फैले भेदभाव को खत्म करने के लिए काम करने वाली संस्थाओं की मदद करती हैं, उनके लिए प्रोग्राम तैयार करती हैं, और उन्हें ज़रूरी सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं.

अमैंडा थर्ड

अमैंडा थर्ड

पीएचडी, प्रोफ़ेसर, और ऑस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी में टेक्नोलॉजी ऐंड वेलबीइंग क्रॉस-सेक्टर राउंडटेबल की फ़ाउंडर

प्रोफ़ेसर अमैंडा थर्ड (पीएचडी), इंस्टिट्यूट फ़ॉर कल्चर ऐंड सोसाइटी में प्रोफ़ेसरल रिसर्च फ़ैलो हैं. साथ ही, वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के यंग ऐंड रेसिलिएंट रिसर्च सेंटर की को-डायरेक्टर हैं. इसके अलावा, साल 2020 से लेकर 2023 तक, ये हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बर्कमेन क्लाइन सेंटर फ़ॉर इंटरनेट ऐंड सोसाइटी की फ़ैकल्टी असोसिएट भी रही हैं. अमैंडा, युवाओं को ध्यान में रखकर और उन्हें शामिल करके की जाने वाली रिसर्च की अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ हैं. वे इस बात पर रिसर्च करती हैं कि बच्चे और युवा, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किस तरह से कर रहे हैं. उनका खास ध्यान, सामाजिक तौर पर पिछड़े समूहों पर और उन्हें अधिकारों का सही इस्तेमाल समझाने पर रहता है. उन्होंने 70 से ज़्यादा देशों में, बच्चों को ध्यान में रखकर बनाए गए कई प्रोजेक्ट पर काम किया है. इससे उन्हें यह समझने में मदद मिली कि बच्चों को इस डिजिटल युग में कैसा महसूस होता है. इसके लिए, उन्होंने कॉर्पोरेट, सरकारी, और गैर-लाभकारी सेक्टर से जुड़े कई पार्टनर के अलावा, बच्चों और युवाओं के साथ मिलकर काम किया.

ऐलन सैल्की

ऐलन सैल्की

यूनिवर्सिटी ऑफ़ विस्कॉन्सन-मैडिसन में बाल चिकित्सा की असिस्टेंट प्रोफ़ेसर

डॉक्टर सैल्की ने, यूनिवर्सिटी ऑफ़ विस्कॉन्सन के स्कूल ऑफ़ मेडिसिन ऐंड पब्लिक हेल्थ से मेडिकल और एमपीएच (मास्टर ऑफ़ पब्लिक हेल्थ) की डिग्री हासिल की है. फ़िलहाल, वे इस यूनिवर्सिटी में बाल चिकित्सा की असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं. ये छोटे बच्चों और किशोरों को रोगों से बचाने के तरीकों और उनका खास ख्याल रखने के लिए काम करती हैं. डॉक्टर सैल्की एक क्लिनीशन साइंटिस्ट हैं. ये सामाजिक तौर पर पिछड़े किशोरों के साथ सोशल मीडिया पर हो रही गलत गतिविधियों को कम करके, सही गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहती हैं. वे खास तौर पर LGBTQ+ कम्यूनिटी के युवाओं के लिए यह काम करना चाहती हैं.

जेसिका पित्रोवस्की

जेसिका पित्रोवस्की

पीएचडी, प्रोफ़ेसर, और यूनिवर्सिटी ऑफ़ एम्सटर्डैम में सेंटर फ़ॉर रिसर्च ऑन चिल्ड्रन, ऐडलेसेंट, ऐंड दी मीडिया की डायरेक्टर

डॉक्टर जेसिका टेलर पित्रोवस्की, यूनिवर्सिटी ऑफ़ एम्सटर्डैम (यूवीए) के एम्सटर्डैम स्कूल ऑफ़ कम्यूनिकेशन रिसर्च (एएससीओआर) में प्रोफ़ेसर हैं. ये इस यूनिवर्सिटी की, कम्यूनिकेशन इन दी डिजिटल सोसाइटी की चेयरमैन हैं. डॉक्टर पित्रोवस्की की रिसर्च से यह पता चलता है कि व्यक्तिगत और सामाजिक-सांस्कृतिक तौर पर बच्चों में अंतर होने से, इन बातों पर कैसे असर पड़ता है: बच्चे कौनसा मीडिया देखते हैं, उसका इस्तेमाल कैसे करते हैं, और उसे प्रोसेस कैसे करते हैं. इनके अलावा, रिसर्च में अन्य बातों से पड़ने वाले असर के बारे में भी पता चलता है. रिसर्च में खास तौर पर फ़ोकस उन चीज़ों पर रहता है जिनसे युवाओं के लिए डिजिटल मीडिया का अनुभव बेहतर बनाया जा सकता है.

जस्टिन पैचिन

जस्टिन पैचिन

पीएचडी, प्रोफ़ेसर, और यूनिवर्सिटी ऑफ़ विस्कॉन्सन - ओ क्लेयर में साइबरबुलिंग रिसर्च सेंटर के को-फ़ाउंडर और को-डायरेक्टर

ये यूनिवर्सिटी ऑफ़ विस्कॉन्सन-ओ क्लेयर में क्रिमिनल जस्टिस के प्रोफ़ेसर हैं. जस्टिन पैचिन की रिसर्च इस बात पर आधारित है कि किशोर, टेक्नोलॉजी का कैसे इस्तेमाल करते हैं. वे खास तौर पर साइबरबुलिंग, सोशल नेटवर्किंग, और सेक्सटिंग पर फ़ोकस करते हैं. वे काउंसलर, कानूनी कार्रवाई करने वाले ऑफ़िसर, माता-पिता/अभिभावकों, शिक्षकों, और युवाओं को, टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल करने से बचने के तरीकों की ट्रेनिंग देने के लिए अक्सर यात्रा करते रहते हैं.

करीम एडुवा

करीम एडुवा

ड्रेक्सल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ़ एजुकेशन में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर

करीम एडुअर्ड, ड्रेक्सल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ़ एजुकेशन में लर्निंग टेक्नोलॉजीस के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं. साथ ही, ये ओले ग्रीन्स ग्रुप के मीडिया कंसल्टेंट हैं. डॉक्टर एडुअर्ड ने स्टैनफ़र्ड के ग्रैजुएट स्कूल ऑफ़ एजुकेशन से, लर्निंग साइंसेज़ ऐंड टेक्नोलॉजी डिज़ाइन में पीएचडी की है. इनकी दिलचस्पी इन विषयों पर रिसर्च करने में है: नस्ल और संस्कृति आपस में किस तरह जुड़े हैं और अफ़्रीक्री या दूसरे मूल के छात्र-छात्राओं की दिलचस्पी, एसटीईएएम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्ट, मैथ) वाले विषयों में कैसे बढ़ाई जाए. एक कंसल्टेंट के तौर पर, डॉक्टर एडुवा अपने वीडियो में क्रिएटिविटी दिखाने और कॉन्टेंट डेवलपमेंट पर फ़ोकस करते हैं. इसमें वे संस्कृति, नई-नई चीज़ें सीखने की रणनीति, और सभी को शामिल करने पर ज़ोर देते हैं.

मीमी इटो

मीमी इटो

यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, इर्विन के इन्फ़र्मैटिक्स डिपार्टमेंट में प्रोफ़ेसर इन रेज़िडेंस

मीमी इटो, डिजिटल कल्चर पर फ़ोकस करने वाली कल्चरल एंथ्रोपोलॉजिस्ट हैं. ये कनेक्टेड लर्निंग (साथ मिलकर चीज़ें सीखना) को बढ़ावा देती हैं. इसमें युवाओं और उनकी दिलचस्पी को ध्यान में रखकर जानकारी दी जाती है. साथ ही, इसमें लोग दूसरों के काम पर ध्यान देकर, खुद से वह काम करके सीखते हैं. ये Connected Camps की को-फ़ाउंडर हैं. यह एक बेनिफ़िट कॉर्पोरेशन (समाज के विकास के साथ-साथ कारोबार करने वाली कंपनी) है. यह कंपनी, समाज के अलग-अलग तबकों से आने वाले बच्चों को ऑनलाइन प्लैटफ़ॉर्म पर क्रिएटिविटी के साथ नई-नई चीज़ें सीखने के मौके देती है. इटो ने टेक्नोलॉजी में रुचि रखने वाले लोगों, गेमर, प्रशंसकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, और कलाकारों पर लंबे समय तक रिसर्च की है. इस रिसर्च से उन्हें पता चला कि बच्चे अपनी मनपसंद चीज़ें उन लोगों के साथ ज़्यादा अच्छे से सीखते हैं जो उन्हें समझने के साथ-साथ प्रेरित करते हैं.

समीर हिंदुजा

समीर हिंदुजा

पीएचडी, प्रोफ़ेसर, फ़्लोरिडा अटलांटिक यूनिवर्सिटी. साइबरबुलिंग रिसर्च सेंटर के को-डायरेक्टर. इंटरनैशनल जर्नल ऑफ़ बुलिंग प्रिवेंशन के को-फ़ाउंडर और को-एडिटर-इन-चीफ़

डॉक्टर समीर हिंदुजा को सोशल मीडिया के इस्तेमाल को सुरक्षित बनाने और साइबरबुलिंग के ख़िलाफ़ अपने बेहतरीन कामों के लिए, दुनिया भर में मान्यता मिली हुई है. इन्होंने सात किताबें लिखी हैं. साथ ही, अलग-अलग फ़ील्ड में इनकी रिसर्च तकरीबन 20,000 से ज़्यादा बार इस्तेमाल की जा चुकी है. विशेषज्ञ के तौर पर, डॉक्टर हिंदुजा अक्सर मीडिया से बात करते रहते हैं. साथ ही, वे छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, माता-पिता/अभिभावकों, मनोचिकित्सकों, और तकनीकी विशेषज्ञों को यह सिखाते हैं कि टेक्नोलॉजी के सही इस्तेमाल को ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ावा कैसे दें.

सैरा एम॰ कॉइन

सैरा एम॰ कॉइन

पीएचडी, मानव विकास की प्रोफ़ेसर, स्कूल ऑफ़ फ़ैमिली लाइफ़, ब्रिगम यंग यूनिवर्सिटी

डॉ॰ सैरा एम॰ कॉइन, ब्रिगम यंग यूनिवर्सिटी में मौजूद स्कूल ऑफ़ फ़ैमिली लाइफ़ में, मानव विकास की प्रोफ़ेसर हैं. वे नियमित तौर पर, किशोरों और परिवारों से बातचीत करती हैं और उन्हें मीडिया के सही इस्तेमाल के बारे में बताती हैं. उन्होंने यूटा स्टेट यूनिवर्सिटी से, मनोविज्ञान में अपनी बीएससी की डिग्री हासिल की. साथ ही, यूनिवर्सिटी ऑफ़ सेंट्रल लैंकशियर प्रेस्टन, इंग्लैंड से मनोविज्ञान में अपनी पीएचडी पूरी की. पीएचडी के दौरान, उनकी रिसर्च के विषयों में, मीडिया, अग्रेशन, जेंडर, मेंटल हेल्थ, और चाइल्ड डेवलपमेंट शामिल थे. इन विषयों और अन्य विषयों पर डॉ॰ कॉइन के 200 से ज़्यादा लेख प्रकाशित हुए हैं. उनके पांच बच्चे हैं और वे यूटा में रहती हैं.

सन सन लिम

सन सन लिम

सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी में कम्यूनिकेशन ऐंड टेक्नोलॉजी की प्रोफ़ेसर

सन सन लिम, सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी में कम्यूनिकेशन ऐंड टेक्नोलॉजी की प्रोफ़ेसर हैं. इन्होंने मीडिया और परिवारों पर काफ़ी लिखा है. इनकी किताबों में ये शामिल हैं: ट्रांसेंडेंट पैरंटिंग: रेज़िंग चिल्ड्रन इन दी डिजिटल ऐज (साल 2020 में ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने पब्लिश की) और मोबाइल कम्यूनिकेशन ऐंड दी फ़ैमिली (साल 2016 में स्प्रिंगर ने पब्लिश की). ये मीडिया लिटरेसी काउंसिल की सदस्य हैं. साल 2018 से 2020 तक, ये सिंगापुर पार्लियामेंट की मनोनीत सदस्य भी रहीं. वहां इन्होंने बच्चों को डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म पर मिलने वाले अधिकारों, एआई (AI) का ज़िम्मेदारी से इस्तेमाल करने, और डेटा शेयरिंग जैसे मुद्दों पर आवाज़ उठाई.

थियागो तवारेज़

थियागो तवारेज़

SaferNet के फ़ाउंडर और प्रेसिडेंट

थियागो तवारिस, SaferNet के फ़ाउंडर और प्रेसिडेंट हैं. यह संस्था, ब्राज़ील में इंटरनेट को सुरक्षित बनाने के लिए 18 साल से काम कर रही है. SaferNet, ब्राज़ील की पहली ऐसी गैर-सरकारी संस्था है जो डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म पर बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित रखने और मानव अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए, अलग-अलग संस्थाओं के साथ मिलकर काम करती है. साल 2005 से, ब्राज़ील में बच्चों की सुरक्षा के लिए हॉटलाइन, हेल्पलाइन, और अवेयरनेस हब तैयार करने में SaferNet की अहम भूमिका रही. बच्चों की सुरक्षा, डिजिटल सुरक्षा, और इंटरनेट गवर्नेंस (इंटरनेट पर लागू होने वाले नियम) पर पिछले 15 साल में किए गए तवारेज़ के काम को 30 से ज़्यादा देशों में प्रज़ेंट किया गया है. संयुक्त राष्ट्र के इंटरनेट गवर्नेंस फ़ोरम (आईजीएफ़) के नौ सम्मेलनों में भी इनके काम को प्रज़ेंट किया जा चुका है.

याल्डा टी॰ उल्स

याल्डा टी॰ उल्स

सेंटर फ़ॉर स्कॉलर्स ऐंड स्टोरीटैलर्स की फ़ाउंडिंग डायरेक्टर और यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, लॉस ऐंजलस (यूसीएलए) में एडजंक्ट प्रोफ़ेसर

याल्डा टी॰ उल्स, अंतरराष्ट्रीय स्तर की रिसर्च साइंटिस्ट हैं, जो अवॉर्ड जीत चुकी हैं. ये यूसीएलए में एडजंक्ट प्रोफ़ेसर हैं. इन्होंने 'मीडिया मॉम्स ऐंड डिजिटल डैड्स: ए फ़ैक्ट नॉट फ़ीयर अप्रोच टू पैरंटिंग इन दी डिजिटल ऐज' नाम की किताब भी लिखी है. वे सेंटर फ़ॉर स्कॉलर्स ऐंड स्टोरीटैलर्स की फ़ाउंडिंग डायरेक्टर हैं. यह यूसीएलए में स्थित, रिसर्च करने वाली एक संस्था है. यह संस्था, सामाजिक विज्ञान पर होने वाली रिसर्च और मीडिया क्रिएशन को एक साथ लाने का काम करती है, ताकि युवाओं के बारे में सही और बिना किसी भेदभाव के कही जाने वाली कहानियों को बढ़ावा मिले. डॉक्टर उल्स को, मीडिया कॉन्टेंट बनाने और बच्चों पर पड़ने वाले मीडिया के असर के बारे में काफ़ी जानकारी है. इस वजह से, उनका एक अलग नज़रिया देखने को मिलता है.

केस स्टडी

जानें कि YouTube, विशेषज्ञों के साथ मिलकर कम उम्र के दर्शकों को अच्छी क्वालिटी वाला कॉन्टेंट कैसे उपलब्ध कराता है.

बच्चों और युवाओं के खास ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, वीडियो के सुझाव देना

YouTube ने विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम किया है. इसके आधार पर, बच्चों और युवाओं के लिए कुछ नियम लागू किए गए हैं. ये नियम, चुनिंदा विषयों से जुड़े वीडियो के सुझावों को बार-बार दिखाने से रोकने के लिए बनाए गए हैं.

ज़्यादा जानें

अच्छी क्वालिटी वाले कॉन्टेंट के लिए YouTube की बनाई हुई नीतियां, बच्चों की क्रिएटिविटी और जिज्ञासा को बढ़ाने में क्रिएटर्स की किस तरह मदद करती हैं

YouTube ने विशेषज्ञों के साथ मिलकर, अच्छी क्वालिटी वाले कॉन्टेंट के लिए नीतियां बनाई हैं. इनसे क्रिएटर्स को बच्चों और परिवारों के लिए बेहतरीन, दिलचस्प, और प्रेरणा देने वाले वीडियो बनाने में मदद मिलती है.

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